या देवी सर्व भूतेषु कुसमांडे रूपेण संस्थिता…
चैत्र नवरात्र : बड़ा प्यारा.. लगा है, दरबार…
नौ दिनों में देवी की पूजन और नैवेद्यों का महत्व …
25 मार्च 2023; ब्यूरो रिपोर्ट: शास्त्रों के अनुसार प्रतिवर्ष नवरात्री का पर्व चार बार मनाया जाता है जिनमें से आम जनों के द्वारा सिर्फ चैत्र तथा शारदीय नवरात्रि में आराधना तथा पूजन किया जाती है। वहीं दो गुप्त नवरात्रि में साधू संतो द्वारा माता रानी की स्तुति की जाती है। चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन में राम नवमीं का पर्व भी बड़े जोश के साथ मनाया जाता है। इसके बारे में हम कल जिक्र करेंगे।
चतुर्थी, पंचमी और षष्ठी तिथि में कैसे करें माता रानी की आराधना..
नवरात्रि के चतुर्थी में माता रानी के जिस स्वरुप की पूजा की जाती है, कहा जाता है कि उनके उदर से इस ब्रम्हांड की उत्पत्ति हुई और तब से उन्हें देवी कुष्मांडा पुकारा गया। माँ को इस दिन मालपुए का भोग अर्पण करने से वे अपने भक्तों की निर्णय लेने की शक्ति को बढ़ाती हैं।
नवरात्रि के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की अर्चना की जाती है। कुमार कार्तिकेय की माता हैं इसलिए इनकी आराधना करने वाले उपासकों को सभी सिद्धियां प्राप्त होती है। इस दिन उपवास करके माता को केले का भोग लगाने से भक्तोँ का शरीर स्वस्थ रहता है।
माता कात्यायनी के स्वरुप की आराधना पर्व के छठे दिन की जाती है। माता ने ऋषि कात्यायन की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर देवी उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायनी कहलाई गयीं। पूजा अर्चना के उपरांत माता को शहद का नैवेद्य लगाने से ऐसा माना जाता है कि उपासकों की आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है।
वैसे तो छत्तीसगढ़ में कई शक्ति पीठ हैं जहां मां के दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इनमें मुख्य रुप से बिलासपुर जिले के रतनपुर में स्थित मां महामाया देवी, राजनादगांव जिले के डोगरगढ़ में स्थित मां बम्लेश्वरी देवी तथा बस्तर जिले के दंतेवाड़ा में स्थित मां दंतेश्वरी देवी के दर्शन शामिल है। इन मदिरों में देवी के आशीर्वाद के लिए हर समय भक्तों का तांता लगा रहता है।
माँ दंतेश्वरी
कल के अंक में जानें पर्व के सप्तमी, अष्टमीऔर नवमीं के दिन कैसे करें माँ की अर्चना..