श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय…

या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडे देवी संस्थिता…

सनातन धर्म में राम नवमीं का महत्व…

28 मार्च 2023; ब्यूरो रिपोर्ट: शास्त्रों के अनुसार हिंदुओं का सनातन धर्म वर्षों पुराना हैं। तो वहीं भगवान राम के जन्म को 7000 वर्ष पुराना होने के प्रमाण भी मिले हैं जिसका एक जीता जागता उदाहरण तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित समुद्र में डूबा हुआ सेतु समुद्रम है जिसे भगवान राम की वानर सेना ने लंका में चढ़ाई करने के लिए बनाया था। इस वर्ष 2023 में चैत्र नवरात्र के नवमीं अर्थात 30 मार्च को राम नवमीं यानी मर्यादापुर्षोत्तम भगवान राम के जन्मोत्त्सव के रूप में मनाया जाएगा।

पर्व के सप्तमी, अष्टमीऔर नवमीं के दिन कैसे करें माँ की अर्चना..

वरात्र में सप्तमी को माँ कालरात्रि की उपासना होती है। देवी बुरी शक्तियों अर्थात काल का नाश करती हैं इसलिए कालरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस दिन साधक को पुरे दिन उपवास करके माता को गुड़ का भोग चढ़ा कर इसे एक थाली में रखकर भोजन के साथ दान कराना चाहिए। इस तरह से पूजा करने से उपवासक पर आने वाले आकस्मिक संकट को माँ हर लेती हैं।

र्व के आठवे दिन को महाअष्टमी कहा जाता है जिसमें जगदम्बे माँ की श्वेत वर्ण के स्वरुप के कारण पड़े नाम महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है। कहा गया है कि महागौरी के इस रूप की बड़े ही श्रद्धा भाव से पूजन कर नारियल का नैवेद्य अर्पण करना चाहिए और नौ कन्या तथा एक भैरव को भोज कराने से माता प्रसन्न होती हैं और जातक को उनके रुके कार्यों को पूर्ण करने हेतु शक्ति प्रदान होती है।

चैत्र नवरात्री में अंतिम दिन में माता के सिद्धिदात्री की आराधना के साथ भगवान राम का जन्म उत्सव भी मनाया जाता है। माँ सिद्धिदात्री को सिद्धियों की स्वामिनी भी कहा गया है। नवमी के दिन व्रत, पूजन और पाठ करके तिल का नैवेद्य अर्पित करना कल्याणकारी माना गया है। इससे माँ आराधक को किसी भी अनहोनी घटना से बचाती हैं। और माँ की कृपा अपने बच्चों पर हमेशा बनी रहती है।

महानवमी और रामनवमीं में क्या अंतर है?

  • भारतीय हिंदू धर्म में रामनवमी और महानवमी दोनों ही प्रमुख त्योहार हैं। हालांकि, दोनों त्योहारों में अंतर है। रामनवमी हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान राम के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है। रामनवमी को हिंदू धर्म के उत्सवों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।

वहीं, महानवमी एक और हिंदू त्योहार है, जो शारदीय नवरात्रों में आता है। महानवमी श्रद्धा और पूजन का दिन होता है जो नवरात्रि के नौ दिनों के अंत में पड़ता है। इस दिन हिन्दू भक्त मां दुर्गा के नौवें स्वरुप माँ सिद्धिदात्री की आराधना करते हैं।

रामनवमी क्यों मनाया जाता है?

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि भगवान विष्णु ने सातवे अवतार में भगवान राम के रूप में त्रेतायुग में जन्म लिया था। भगवान राम का जन्म रावण के अत्याचारों को खत्म करने एवं पृथ्वी से दुष्टों को खत्म कर नए धर्म स्थापना के लिए हुआ था। इसलिए भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में रामनवमी का पर्व मनाया जाता है। यह भी माना जाता है कि भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए मां दुर्गा की उपासना की थी। चैत्र मास की नवरात्रि के समापन के बाद ही राम नवमी का पर्व आता है।

राम नवमी की पूजा विधि कुछ इस प्रकार है:

सबसे पहले स्नान करके पवित्र होकर पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें।

  •   पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए।
  •   उसके बाद श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
  •   खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
  •   पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाए।

रामनवमी मुहूर्त : 11:11:38 से 13:40:20 तक

रामनवमी मध्याह्न समय : 12:25:59

अवधि : 2 घंटे 28 मिनट

रामनवमी में जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान राम का स्मरण कर व्रत रखता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

एक दूसरे से मिलने पर राम नाम सिर्फ दो बार ही कहते है, एक या तीन बार क्यों नहीं ?

यह आदि काल से ही चला आ रहा है। हिंदी की शब्दावली में “र ” सत्ताईसवा, म पच्चीसवां शब्द और आ की मात्रा दूसरे क्रम में आता है। इस तरह 27+2+25 का जोड़ 54 है। और इसे 2 बार कहने से 108 मनके की माला का जाप हो जाता है। तो एक बार प्रेम से बोलिए राम राम।

जय श्री राम, जय माता सिद्धीदात्री, जय सनातन धर्म की।

 

thefrontpage24.com अपने सभी सुधि पाठकों को रामनवमीं की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता है।

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