ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी … 

पर्व के सप्तमी, अष्टमीऔर नवमीं के दिन कैसे करें माँ की अर्चना..

टीएफपी ब्यूरो रिपोर्ट; 14 अप्रैल 2024: हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा की आराधना सदियों से की जाती रही है। वैसे तो  भक्तों द्वारा माता रानी की पूजा तो हर दिन की जाती है किन्तु कुछ विशिष्ट पर्वों में इनकी आराधना का अलग महत्व और मनोकामना पूर्ति वाला होता है। शास्त्रों के अनुसार प्रतिवर्ष नवरात्री का पर्व चार बार मनाया जाता है जिनमें से आम जनों के द्वारा सिर्फ चैत्र तथा शारदीय नवरात्रि में आराधना तथा पूजन किया जाता है। वर्ष 2024 का चैत्र नवरात्र 08 अप्रैल सोमवार से शुरु हो चुका है जो कि 17 अप्रैल, बुधवार तक चलेगा।

पर्व के षष्ठी, सप्तमी, अष्टमीऔर नवमीं के दिन कैसे करें माँ की अर्चना..

माता कात्यायनी के स्वरुप की आराधना पर्व के छठे दिन की जाती  है। माता ने ऋषि कात्यायन की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर देवी उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायनी कहलाई गयीं। पूजा अर्चना के उपरांत माता को शहद का नैवेद्य लगाने से ऐसा माना जाता है कि उपासकों की आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है

वरात्र में सप्तमी को माँ कालरात्रि की उपासना होती है। देवी बुरी शक्तियों अर्थात काल का नाश करती हैं इसलिए कालरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस दिन साधक को पुरे दिन उपवास करके माता को गुड़ का भोग चढ़ा कर इसे एक थाली में रखकर भोजन के साथ दान कराना चाहिए। इस तरह से पूजा करने से उपवासक पर आने वाले आकस्मिक संकट को माँ हर लेती हैं।

पर्व के आठवे दिन को महाअष्टमी कहा जाता है जिसमें जगदम्बे माँ की श्वेत वर्ण के स्वरुप के कारण पड़े नाम महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है। कहा गया है कि महागौरी के इस रूप की बड़े ही श्रद्धा भाव से पूजन कर नारियल का नैवेद्य अर्पण करना चाहिए और नौ कन्या तथा एक भैरव को भोज कराने से माता प्रसन्न होती हैं और जातक को उनके रुके कार्यों को पूर्ण करने हेतु शक्ति प्रदान होती है।

चैत्र नवरात्री में अंतिम दिन में माता के सिद्धिदात्री की आराधना के साथ भगवान राम का जन्म उत्सव भी मनाया जाता है। माँ सिद्धिदात्री को सिद्धियों की स्वामिनी भी कहा गया है। नवमी के दिन व्रत, पूजन और पाठ करके तिल का नैवेद्य अर्पित करना कल्याणकारी माना गया है। इससे माँ आराधक को किसी भी अनहोनी घटना से बचाती हैं। और माँ की कृपा अपने बच्चों पर हमेशा बनी रहती है।

महानवमी और रामनवमीं में क्या अंतर है?

भारतीय हिंदू धर्म में रामनवमी और महानवमी दोनों ही प्रमुख त्योहार हैं। हालांकि, दोनों त्योहारों में अंतर है। रामनवमी हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान राम के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है। रामनवमी को हिंदू धर्म के उत्सवों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।

वहीं, महानवमी एक और हिंदू त्योहार है, जो शारदीय नवरात्रों में आता है। महानवमी श्रद्धा और पूजन का दिन होता है जो नवरात्रि के नौ दिनों के अंत में पड़ता है। इस दिन हिन्दू भक्त मां दुर्गा के नौवें स्वरुप माँ सिद्धिदात्री की आराधना करते हैं।

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