सनातन धर्म में राम नवमीं का महत्व…
टीएफपी ब्यूरो रिपोर्ट; 16 अप्रैल 2024: शास्त्रों के अनुसार हिंदुओं का सनातन धर्म वर्षों पुराना हैं। तो वहीं भगवान राम के जन्म को 7000 वर्ष पुराना होने के प्रमाण भी मिले हैं जिसका एक जीता जागता उदाहरण तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित समुद्र में डूबा हुआ सेतु समुद्रम है जिसे भगवान राम की वानर सेना ने लंका में चढ़ाई करने के लिए बनाया था। इस वर्ष 2024 में चैत्र नवरात्र के नवमीं अर्थात कल 17 अप्रैल को राम नवमीं यानी मर्यादापुर्षोत्तम भगवान राम के जन्मोत्त्सव के रूप में मनाया जाएगा। जिसके लिए अयोध्या सहित विश्व के सभी राम मंदिरों में भगवान राम की प्रकटोत्सव बड़े ही धूमधाम से मानने की तयारी है। यहां तक कि राघव के जन्मस्थली अयोध्या में तो भगवान को सूर्य तिलक अर्पित करने की भी सभी तैयारी पूर्ण हो चुकी है।
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि भगवान विष्णु ने सातवे अवतार में भगवान राम के रूप में त्रेतायुग में जन्म लिया था। भगवान राम का जन्म रावण के अत्याचारों को खत्म करने एवं पृथ्वी से दुष्टों को खत्म कर नए धर्म स्थापना के लिए हुआ था। इसलिए भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में रामनवमी का पर्व मनाया जाता है। यह भी माना जाता है कि भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए मां दुर्गा की उपासना की थी। चैत्र मास की नवरात्रि के समापन के बाद ही राम नवमी का पर्व आता है।
राम नवमी की पूजा विधि कुछ इस प्रकार है:
सबसे पहले स्नान करके पवित्र होकर पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें।
- पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए।
- उसके बाद श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
- खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
- पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाए।
राम नवमी तिथि, 2024 और शुभ मुहूर्त
श्री रामनवमी तिथि 16 अप्रैल, 2024 दिन मंगलवार दोपहर 01 बजकर 23 मिनट पर शुरु हो जाएगी। किन्तु उदयातिथि के अनुसार 17 अप्रैल 2024 को मध्याह्न मुहूर्त सुबह 10 बजकर 30 मिनट से दोपहर 01 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। पाठकों से अनुरोध है की इस मुहूर्त की पुष्टि एक बार स्थानीय मंदिर में जाकर भी कर लेवें।
रामनवमी में जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान राम का स्मरण कर व्रत रखता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
राम नाम का महत्व:
एक दूसरे से मिलने पर राम नाम सिर्फ दो बार ही कहते है, एक या तीन बार क्यों नहीं ?
यह आदि काल से ही चला आ रहा है। हिंदी की शब्दावली में “र ” सत्ताईसवा, म पच्चीसवां शब्द और आ की मात्रा दूसरे क्रम में आता है। इस तरह 27+2+25 का जोड़ 54 है। और इसे 2 बार कहने से 108 मनके की माला का जाप हो जाता है। तो एक बार प्रेम से बोलिए राम राम।
जय श्री राम, जय माता सिद्धीदात्री, जय सनातन धर्म की।